श्रीराम विवाह

श्रीराम विवाह

आजु के विशेष बा रात ,
बारात दुल्हा रामजी के आईल ।
जानकी संग लिहें फेरा सात ,
बारात दुल्हा रामजी के आईल ।।
हाथी घोड़ा डूबे सजल बा ,
बारातियो त खूबे मजल बा ।
बैलगाड़ी के लाईन लगल बा ,
बाराती जईसे कए रात जगल बा ।।
हाथी घोड़ा दिहले बा मात ,
बारात दुल्हा रामजी के आईल ।
दशरथ जी खुशी से अघात ,
बारात दुल्हा रामजी के आईल ।।
बाराती जईसे पूरा संसार बा ,
राजा दशरथ के कतना प्यार बा ।
बाराती देखि जनक जी डेरईले ,
राजा दशरथ के बनल व्यवहार बा ।।
चकित जनक अंगुरी काटे दाॅंत ,
बारात दुल्हा रामजी के आईल ।
दुअरा बईठल भोज पाॅंत ,
बारात दुल्हा रामजी के आईल ।।
जनक जी के अंगना गीत गवात बा ।
जनक जी के गोर नाहीं कहीं रोपात बा ।।
सुनयना माई के बईठल जमात ,
बारात दुल्हा रामजी के आईल ।
अगुआनी करे जानकी तात ,
बारात दुल्हा रामजी के आईल ।।
कन्यापक्ष में सबकोई बेचैन बा ,
सारा लोगवा जनक जी के फैन बा ।
दिन दुपहरिया भीतर रैन बा ,
चारों ओरिया जनक जी के नैन बा ।।
संगे भरत शत्रुघ्न लखन भ्रात ,
बारात दुल्हा रामजी के आईल ।
सीताजी जईहें होते प्रात ,
बारात दुल्हा रामजी के आईल ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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