अदाणी फाउंडेशन की दिव्यांगों को सशक्त बनाने की अनोखी पहल, विश्व दिव्यांग दिवस के मौके पर मुंद्रा में रोजगार मेले का हुआ आयोजन
भुज, गुजरात, 5 दिसंबर, 2023 - अदाणी फाउंडेशन आजीविका के अवसरों के माध्यम से दिव्यांगों का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसने दिव्यांगों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस (3 दिसंबर) से पहले मुंद्रा में बड़े पैमाने पर रोजगार मेले का आयोजन किया था। ये प्रयास भुज (कच्छ जिले) में एक अनोखे उत्सव के रूप में परिणित हुए, जिसमें 111 दिव्यांगों को नियुक्ति पत्र प्रदान किए गए। उम्मीदवारों को अदाणी समूह और मुंद्रा समेत आसपास स्थित अन्य कंपनियों में रोजगार मिला है।
इस कार्यक्रम में अदाणी ग्रुप के निदेशक जीत अदाणी, गुजरात सरकार के दिव्यांगों के लिए आयुक्त, वी.जे राजपूत, अदाणी फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक, वसंत गढ़वी, अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन के कार्यकारी निदेशक, रक्षित शाह, भुज के अतिरिक्त कलेक्टर, निमेश पंड्या, कच्छ नव निर्माण अभियान के अध्यक्ष, दीपेश श्रॉफ और कच्छ जिला विकास अधिकारी एस.के. प्रजापति शामिल हुए।
अदाणी ग्रुप के निदेशक जीत अदाणी ने प्रण लिया और कहा, “हम इस दिशा में अपने प्रयासों को बढ़ाते रहेंगे हैं। हमारे इन प्रयासों से 100 से अधिक दिव्यांगों को अदाणी और कई अन्य कंपनियों में रोजगार के अवसर प्राप्त हुए हैं। एक समाज के रूप में, हममें से प्रत्येक को इस उद्देश्य में योगदान देना चाहिए।”।
अदाणी फाउंडेशन ने एपीएसईजेड और 20 अन्य कंपनियों के साथ मिलकर काम किया। परिणामस्वरूप, 111 उम्मीदवारों को नौकरी मिली और पचास उम्मीदवारों को स्व-रोज़गार बनने के लिए उपकरण सहायता प्राप्त हुई। इस कार्यक्रम में गुजरात सरकार के दिव्यांगों के लिए आयुक्त वी.जे राजपूत भी मौजूद थे उन्होंने कहा कि, “सरकार कई योजनाएं और लाभ प्रदान करती है जिसका लोगों को लाभ उठाना चाहिए। अदाणी फाउंडेशन के प्रयास एक नई शुरुआत का प्रतीक हैं। हमें विकलांग व्यक्तियों की जन्मजात प्रतिभा को पहचानने और उन्हें समाज में आत्मनिर्भर बनने में मदद करने की आवश्यकता है।”
2014 से, अदाणी फाउंडेशन अपनी स्वावलंबन परियोजना के माध्यम से दिव्यांगों के आत्मनिर्भरता की दिशा में काम कर रहा है। कई सालों से, फाउंडेशन उपकरण सहायता प्रदान करके, रोजगार मेले का आयोजन करके, सरकारी योजनाओं को सुविधाजनक बनाकर साथ ही रचनात्मक और उद्यमशीलता आकांक्षाओं का समर्थन करके तालुका/जिला स्तर पर दिव्यांगों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस मना रहा है। अब तक स्वावलंबन परियोजना ने 800 से अधिक व्यक्तियों को सहायता प्रदान की है।
अदाणी फाउंडेशन दिव्यांग प्रमाण पत्र और कई सरकारी योजनाओं के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए परामर्श प्रदान करता है, जैसे बस-पास और आने-जाने के लिए अन्य सार्वजनिक परिवहन सेवाएं, पेंशन, ई-श्रम कार्ड की योजनाओं के लिए जागरूकता अभियान भी चलाता है। इसके साथ ही फाउंडेशन हाथ गाड़ी, आटा चक्की मशीन, सिलाई मशीन, दुकान स्थापित करने के लिए केबिन, वॉकर, कृत्रिम अंग, रिक्शा जैसे जरुरी उपकरण भी उपलब्ध करवाता है अदाणी फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक वसंत गढ़वी ने कहा कि, "अदाणी फाउंडेशन सामाजिक विकास क्षेत्र में कई क्षेत्रों में काम करता है लेकिन यह सात वर्षों के फोकस के मुख्य क्षेत्रों में से एक है। हम आने वाले समय में इन प्रयासों को अगले स्तर पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”।
अदाणी फाउंडेशन के इन प्रयासों से दिव्यांगों को सामाजिक-आर्थिक रुप से सशक्त होने का बड़ा अवसर मिल रहा है। विष्णु प्रजापति फाउंडेशन के प्रयासों से काफी खुश है और उन्हें इसका लाभ भी मिला है इस मौके पर उन्होंने कहा, "मैं मेरी क्षमताओं और कौशल के अनुरूप रोजगार पाने में मदद करने के लिए अदाणी फाउंडेशन का आभारी हूं"। विष्णु प्रजापति अकेले नहीं है, अवनी जेठवा ने इस अवसर पर अदाणी समूह का आभार व्यक्त किया और कहा, "मुझे उम्मीद है कि भविष्य में भी फाउंडेशन, समुदाय के लाभ के लिए सार्थक काम करना जारी रखकर एक उल्लेखनीय उदाहरण स्थापित करेगा"। आजीविका के ये स्थायी अवसर समावेशी और विविध समुदायों को बढ़ावा देते हुए दिव्यांगों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाते हैं।
अदाणी फाउंडेशन के बारे में जानकारीअदाणी फाउंडेशन, अदाणी समूह की सामुदायिक सहायता और भागीदारी शाखा, पूरे भारत में स्थायी परिणाम प्राप्त करने के लिए रणनीतिक सामाजिक निवेश करने के लिए समर्पित है। 1996 से, फाउंडेशन ने शिक्षा, स्वास्थ्य, स्थायी आजीविका, कौशल विकास और सामुदायिक बुनियादी ढांचे सहित मुख्य क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया है। राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और वैश्विक सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) पर आधारित अपनी रणनीतियों के साथ, फाउंडेशन अपने अभिनव दृष्टिकोण और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करने के लिए जाना जाता है, जो अदानी समूह के व्यवसायों और उससे आगे के समुदायों की भलाई और धन में योगदान देता है। वर्तमान में, यह 19 राज्यों के 5,753 गांवों में संचालित होता है, जिससे 7.3 मिलियन लोगों का जीवन प्रभावित होता है।
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