Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

जल के बिना शफर है जैसे

जल के बिना शफर है जैसे

-- डॉ. मेधाव्रत शर्मा, डी•लिट•
(पूर्व यू.प्रोफेसर)
जल के बिना शफर है जैसे,
इन्दु बिना अम्बर है जैसे ,
प्राण!तुम्हारे बिना ज़िन्दगी, उसी तरह सूनी-सूनी है।
सुख के जितने भी साधन हैं,
जितने सारे परिकर-जन हैं,
अपने-अपने काम सभी के, किसको मेरे लिए पड़ी है।
माँ, यह कैसी सृष्टि तुम्हारी,
जन्म -मरण है बारी-बारी,
माया के हाथों में क्यों कर, खूनी नियति-कुठारी दी है।
जाल समेटो यह माया का,
रज्जु-सर्प, काया-छाया का ,
जगत् धरहरा निरा धुएँ का, माया छलनामयी परी है ।
ज्ञानी कहते, दृष्टि तुम्हारी,
जिस पर भी पड़ती है न्यारी, वैधी सृष्टि पंगु हो जाती, माया भाग खड़ी होती है ।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ