अयोध्या में राम मन्दिर, निर्माण हो रहा है,
सदियों से जो बाधित था, काम हो रहा है।सज गयी अयोध्या, आज दुल्हन की तरह,
आस्था का केंद्र, अयोध्या धाम हो रहा है।
आततायी और लुटेरे, जितने भी आये थे,
अधर्म का बिगुल बजाने, जो भी आये थे,
मिट गया वुजुद, विरोधियों का मुँह काला,
वह भी राम के हुए, जो राम मिटाने आये थे।
राम चेतना का स्वरूप, राम ही है आत्मा,
राम ही सर्वस्व जगत में, राम ही आराधना।
मर्यादाओं का नाम राम, धरा से प्रयाण राम,
मोक्ष की है कामना, मुख से निकले राम राम।
डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
५३ महालक्ष्मी एनक्लेवमुज़फ़्फ़रनगर २५१००१
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