माॅॅं का अर्थ है होता जगत में ,
माॅं का हृदय होता है विशाल ।माॅं ही बेटे को प्रकाश है देती ,
ले आगे बढ़े हाथ में मशाल ।।
माॅं का अर्थ तो होता है माता ,
मा का अर्थ भी यह होता में ।
माॅं कभी नहीं सिखाती हमको ,
अभिवादन करो किसी को रे ।।
माॅं तो है माता ही तो होती ,
माॅं भारती भी हमारी माता है ।
वसुधैव कुटुंबकम् जो है चला ,
वसुधा भी हमारी ही माता है ।।
सृष्टि से जब वसुधा पे आए ,
माॅं वसुधा ने हमें ले ली गोद ।
वसुधावासी सब भाई बहन ,
मन में करके देख लो शोध ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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