खटना पड़ता खेत में,
खटना पड़ता खेत में, धूप और छाँव में,हाथ पैर फट जाते, छाले पड़ते पाँव में।
सर्दी की रातों में भी, पानी देना पड़ता है,
सब सहकर ही फसलें आती, तब गाँव में।
समय यह अनुकूल, खेतों में गेहूँ बोने का,
समय यह अनुकूल, मिल तक गन्ना ढोने का।
पाले से भी कुछ फसलों की रक्षा करनी होती,
समय यह अनुकूल, वर्ष के स्वप्न संजोने का।
डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
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