राजनीति का विचित्र खेल

राजनीति का विचित्र खेल

राजनीति का शह - मात का खेल देखकर
अब तो आम आदमी की अक्ल हुई बेकार


स्वयं की शिक्षा का नहीं कहीं है ओर - छोर
बन शिक्षा-महिला विकास मंत्री चला गयी सरकार


कोई बेशर्मी से दस हज़ार करोड़ गया डकार
यौन शौषण करने वाला चला रहा है सरकार


जहां अधिकांश लोकप्रिय जननायक घूम रहे बेकार
राज्य सभा की राह मंत्री बन कुछ चला रहे सरकार


ज़मींनी नेताओं की नहीं किसी को दरकार
कठपुतली बने नये चेहरे चला रहे सरकार


INDIA नाम के रथ पर विपक्ष हो रहा है सवार
दिशाहीन विपक्ष क्या कर पायेगा देश का बेड़ा पार


अच्छे दिन कब आयेंगे, खड़े लालू जी चिल्लायें,
कैसे अच्छे दिन? 8 वीं पास लाल चला गया सरकार


360 करोड़ नक़द रखने वाला मंहगाई से त्रस्त
संसद सांसद जा रहा होकर साईकिल पर सवार


देखो नीति विहीन नेता सब बन गये हैं यार
उद्देश्य बस कैसे भी हो जाए भाजपा की हार


त्रस्त मध्यम वर्गीय मतदाता तो हुआ है पागल
2024 में अब की बार किसी की बनेगी सरकार


स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
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