एक कप चाय

एक कप चाय

बढ़ी आजकल चाय की गरिमा ,
हो रहा चाय का खूब गुणगान ।
चल रही आज सर्दी का मौसम ,
जाड़े में चाय बन जाता महान ।।
लग रही हो अधिक यदि सर्दी ,
हो जाए एक कप चाय ये गरम ।
आएगी चाय से तन में तब गर्मी ,
सर्दी भी होगी तब बहुत नरम ।।
चाय होता जैसे कोई विटामिन ,
तन को देता ताजगी भरा उर्जा ।
तन मन के नट वोल्ट कस जाते ,
काम करने लगते हैं कल पूर्जा ।।
चाय गरम और ये गरम पकौड़े ,
खाने पीने में है अलग ये आनंद ।
काम करने में भी मन है लगता ,
काम भी करते होकर स्वछंद ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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