कुछ ऐसा कर दो राम ,
तुम्हारे चरणों में मैं रम जाउं ।जब आंख खुले मेरा तब ,
तेरा ही दर्शन मैं पाउं ।।
मेरे कान तुम्हारे नाम सुनें ,
वाणी से राम ही निकले ।
मेरे सांसों में बसे राम नाम ,
दिल राम नाम सुन पिघले ।।
जिस ओर जाउं तेरा मंदिर हो ,
दर्शन भाव दिल के अंदर हो।
मैं हाथ जोड़ विनती करूं ,
हर क्षण मैं तेरा ध्यान धरूं ।।
यों ही यह जीवन बित गया ,
कोई पुण्य नहीं मेरे खाते में।
कितने पापी तेरे हाथों तरे ,
मुझे तारना है तेरे हाथों में ।।
मन चंचल है कुछ सुझे नहीं ,
बस तेरा सहारा यह बुझे नहीं।
अब चरण पड़ा लो थाम मुझे ,
तेरे सिवा अब कुछ सुझे नहीं।।
बिन इच्छा तेरे , मेरे राम ,
अब कुछ भी नहीं हो पाएगा ,
जो कृपा नहीं होगी तेरा तो,
यह जीवन व्यर्थ चला जाएगा ।।
जय प्रकाश कुंअर
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