क्यों करें अभिनंदन तुम्हारा

क्यों करें अभिनंदन तुम्हारा

क्यों करें अभिनंदन तुम्हारा, नववर्ष हमें बतलाओ,
क्या परिवर्तन तुम लाते हो, नववर्ष हमें बतलाओ?
नहीं कोई फसलें आती हैं, न सृष्टि में परिवर्तन,
किस बात पर इठलाते हो, नववर्ष हमें बतलाओ?


नहीं कोई इतिहास तुम्हारा, नहीं भूगोल आधार,
राजाओं की मनमर्ज़ी से, किया गया सारा विस्तार।
कभी वर्ष में दस माह थे, नवम्बर दिसम्बर नौवें दशवें,
फ़रवरी केवल चौदह दिन की, यही है सारा सार।


शोर शराबा धूम धड़ाका, प्रदूषण फैलाते हो,
युवाओं को नशे की लत, झूम झूम सिखाते हो।
माँस मदीरा अय्याशी करना, नववर्ष की रीत,
सदाचार सदगुण की बातें, क्या कोई बताते हो?


डॉ अ कीर्ति वर्द्धन

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