अनपढ़ हुकूमत करता है

अनपढ़ हुकूमत करता है

प्रजातंत्र का संविधान यह ,
सदा हमें संबोधित करता है ।
न हो अंधा लूला गूंगा बहरा ,
लंगड़े को आदेश नहीं देता है ।।
शिक्षा का नहीं लेखा जोखा ,
कोई भी सिंहासन बैठता है ।
शिक्षित बैठता विनम्र होकर ,
अनपढ़ बैठते ही ये ऐंठता है ।।
किंतु संविधान में है लिखित ,
कर सकते हैं अस्वीकार नहीं ।
भले व्यवहार में हो उद्दंडता ,
भले ज्ञान भली प्रकार नहीं ।।
होता नहीं तब देश विकास ,
हर कोई से ही वह लड़ता है ।
भले कोई पीएचडी किया हो ,
एक अनपढ़ हुकूमत करता है ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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