यों मेरी हंसी न उड़ाओ ।

यों मेरी हंसी न उड़ाओ ।

मुझे देख एक बार मुस्कराओ ।।
शायद मैं तेरे लायक नहीं हूं ।
बता तो दो जो मुझमें कमी है ।।
जो ईश्वर ने रचा है वो कायम रहेगा ।
जो खुद से गढ़ा है वो तो बदलेगा ।।
जो चाहत है तेरी मुझे वैसा बनाओ ।
पर , यों मेरी हंसी न उड़ाओ ।।
मुझे देख एक बार मुस्कराओ ।।
यहां तो खिलौने को भी सजाया जाता है ।
अनपढ़ को भी ज्ञान पढ़ाया जाता है ।।
हंसने की कला तुम ,
मुझे हंसकर सिखाते जाओ।
यों मेरी हंसी न उड़ाओ ।।
मुझे देख एक बार मुस्कराओ ।।
यह दूनियां एक रंगमंच है।
हम सब अपना अपना अभिनय कर रहे हैं ।।
पर्दा गिरते ही हम सब गायब हो जायेंगे ।
तमाशा खत्म हो जाएगा ।
हम सब फिर लौट कर नहीं आयेंगे ।।
अब तो मुख मोड़ो नहीं ।
अधरों पर मुस्कान लाओ ।।
यों मेरी हंसी न उड़ाओ ।
मुझे देख एक बार मुस्कराओ ।। जय प्रकाश कुंअर
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