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संस्कार कोई वस्तु नहीं|

संस्कार कोई वस्तु नहीं|

संस्कार कोई वस्तु नहीं, जो देश में आयात करके आता है ।
भारतीय संस्कार हमको , भारतवर्ष ही सिखाता है ।।
पहला पाठशाला घर है , जहां व्यवहार सिखाया जाता है ।
व्यक्ति और समाज के रिश्ते का , ज्ञान सिखाया जाता है ।।
उठने, बैठने , चलने , बोलने का, ज्ञान भी जरूरी है ।
छोटों को प्यार और बड़ों को सम्मान देना , सिखना जरूरी है ।।
हाथ जोड़ और पैर छुकर अभिवादन हमें कहां से आया है ।
यह समझ कोई और नहीं , हमें भारतीय संस्कार ने सिखाया है ।।
बुजुर्गों और सम्मानित लोगों का मजाक उड़ाना न जाने ,
कहां से अब भारतीय समाज में आज आया है।
ऐसी अभद्रता न जाने कौन सा परिवार और समाज ,
कुछ लोगों को पढ़ाया और सिखाया है ।।
ऐसा आचरण हमारे भारतीय संस्कृति पर कलंक है ।
ऐसा व्यवहार हमारे समाज और पारिवारिक मूल्यों पर कलंक है।।
हमें भारतीय संस्कार और मूल्यों को बढ़ावा देना चाहिए ।
अपने से बड़ों को हमेशा , उचित इज्जत और सम्मान देना चाहिए।। जय प्रकाश कुंअर
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