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"मैं खुद में अल्प हूँ"

"मैं खुद में अल्प हूँ"

मैं खुद में अल्प हूँ,
पर मैं विकल्प नहीं।
मैं एक संभावना,
एक नई शुरुआत हूं।

मैं एक नया रास्ता,
एक नई मंजिल हूँ।
मैं एक चुनौती,
एक नई प्रेरणा हूँ।

मैं एक सपना,
एक आशा हूँ।
मैं एक विश्वास,
मैं तो विकास हूँ।

मैं एक भावना,
एक विचार हूँ।
मैं एक अनुभव,
एक यादगार हूँ।

मैं एक शब्द,
एक वाक्य हूँ।
मैं एक कहानी,
एक इतिहास हूँ।

मैं एक आत्मा,
एक इंसान हूँ।
मैं एक जीव,
मैं ही आदि-अनंत हूँ।

मैं खुद में अल्प,
विकल्प मत समझना।
मैं एक विकल्प नहीं,
मैं एक अवसर हूँ।

स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित 
 पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
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