प्रतीक्षा राम की
नहीं रह गई अब देरी ,शीघ्र आएंगे अब राम ।
इंतजार इक्कीस उषा ,
और मात्र बीस है शाम ।।
वर्ष 2023 करके विदा ,
2024 का प्रथम माह ।
2024 आ रहा कहने ,
आए प्रभु श्रीराम वाह ।।
जा रहा अब वर्ष 2023 ,
देकर हमें खुशियाॅं अनंत ।
भारत हुआ खुशनसीब है ,
खुश हमारे हैं साधु संत ।।
तेईस रातें बाईस हैं दिन ,
उंगली पे आज लो गिन ।
नववर्ष के इस नव माह में ,
बाईस जनवरी है नवीन ।।
22 जनवरी उत्सव मनाएं ,
22 जनवरी मुख्य त्यौहार ।
घर पे निज दीप जला लें ,
श्रीराम हैं सृष्टि के शृंगार ।।
इंतजार में है अति बेसब्री ,
श्रीराम से हमें बहुत प्यार ।
हमारा अयोध्या धन्य होगा ,
नमन पूजन सदा अधिकार ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण ) बिहार ।
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