चाकू छुरी तेज करा लो

चाकू छुरी तेज करा लो

चाकू छुरी तेज करा लो, गली गली चिल्लाता था,
साईकिल पर ही तेग सजाकर, कैंची धार लगाता था।
वह दौर पुराना धार लगाना, भूली बिसरी बात हुई,
भाँति-भाँति के कैंची चाकू, बातों से मोह जाता था।


यूज थ्रो का आया जमाना, लोहे का है राग पुराना,
सिमट गये लोहे के चाकू, स्टील का विश्व दिवाना।
गली गाँव में धार लगाकर, परिवार का पालन करता,
नये दौर में उसको भी तो, लगता है यह काम पुराना।

डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ