डर नहीं लगता हमको यारों, दुश्मन के हथियारों से,

डर नहीं लगता हमको यारों, दुश्मन के हथियारों से,

बच कर रहना देशवासियों, घर में छिपे गद्दारों से।
सरहद पर दुश्मन की, हम औकात बता सकते हैं,
शान हमारी बचा कर रखना, सत्ता के ठेकेदारों से।
भूल गया है पाकिस्तान, शायद 71 के अफसानों को,
सोच रहा फिर टकराने की, वो भारत के पहरेदारों से।
मानवता भारत की थाती, अपना समझा माफ़ किया,
सीखा दिया है हमें समय ने, कैसे निपटें मक्कारों से।
नाम शरीफ, गुंडों का राजा, परमाणु का रौब दिखाता,
अणु-परमाणु खेल रोज का,पूछ ले अपने सरदारों से।
कभी कहा था छोटा भाई, इज्जत बख्शी, मान दियाथा,
आँख उठाई भारत पर, पता पूछना दुनिया के अखबारों से।


डॉ अ कीर्तिवर्धन
विद्यालक्ष्मी निकेतन
53 महालक्ष्मी एन्क्लेवमुज़फ्फरनगर -251001
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