गीत का जन्म
अकुलित हो रहा, गर्भ मे कोई गीत है,अंग करते हैं किलोल, गर्भ मे कोई गीत है।
मन प्रफुल्लित हो रहा, गर्भ मे कोई गीत है,
प्रसव का हो गया समय गर्भ मे कोई गीत है।
वेदना प्रसव की, मुख पर है छाई हुई,
मन हिलोरें ले रहा, जन्मता कोई गीत है।
नौ माह कोख मे, माँ ने बालक को रखा,
नौ पल मैंने भी अपने, गीत को मन मे रखा।
वेदना व सुख का अनुभव, हर पल मैंने किया,
गीत मेरा जन्म ले ले, प्रार्थना कान्हा से किया।
सलोना हो रूप उसका, जैसे बाल कृष्ण का,
कल्पना मे रूप उसका, यही मैंने धारण किया।
डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
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