Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

गीत का जन्म

गीत का जन्म

अकुलित हो रहा, गर्भ मे कोई गीत है,
अंग करते हैं किलोल, गर्भ मे कोई गीत है।
मन प्रफुल्लित हो रहा, गर्भ मे कोई गीत है,
प्रसव का हो गया समय गर्भ मे कोई गीत है।
वेदना प्रसव की, मुख पर है छाई हुई,
मन हिलोरें ले रहा, जन्मता कोई गीत है।
नौ माह कोख मे, माँ ने बालक को रखा,
नौ पल मैंने भी अपने, गीत को मन मे रखा।
वेदना व सुख का अनुभव, हर पल मैंने किया,
गीत मेरा जन्म ले ले, प्रार्थना कान्हा से किया।
सलोना हो रूप उसका, जैसे बाल कृष्ण का,
कल्पना मे रूप उसका, यही मैंने धारण किया।

डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ