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सदा अपना कहते हो

सदा अपना कहते हो 

सदा अपना कहते हो , कभी कुछ मेरी भी सुनो ।
यों एकतरफा कहकर मतलबी दोस्त मत बनो ।।
बिना मतलब सही ,कौन किसके पास जाता है ।
यह मतलब हीं है जो दो इंसान को मिलाता है ।।
सभी अनजान हैं, सब अपने रास्ते चले जा रहे हैं ।
मतलब के हिसाब से ही एक दूसरे को पा रहे हैं ।।
हर किसी की चाह एक जैसी कभी होती नहीं ।
बिना समभाव के अपनापन कभी होती नहीं ।।
सुख दुःख , हानि लाभ ने कब किसको छोड़ा है ।
नि: स्वार्थ दोस्ती ने कभी इससे मुख नहीं मोड़ा है ।।
केवल अपना सोचने वाले सचा दोस्त नहीं बन पाते हैं ।
ऐसे इंसान दूनियां में सदा मतलबी दोस्त कहलाते हैं ।। 
 जय प्रकाश कुंअर
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