एक एक क्षण बिना तुम्हारे

एक एक क्षण बिना तुम्हारे

जैसे एक जन्म लगता है।
उलझन भरी प्रतीक्षाओं मे
जीवन एक बहम लगता है।
कभी कभी तो उ़म्र अचानक
लगती पूर्ण विराम हो गयी।
जब जब याद तुम्हारी आई
सारी नींद हराम हो गयी।

डॉ अ कीर्तिवर्धन
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