सिक्के के दो पहलू देखे,

सिक्के के दो पहलू देखे,

गम ख़ुशी संग होते देखे।
सूरज उगता उर्जा लाता,
शाम ढले सब सोते देखे।


मुफ़्त माल पर पलने वाले,
सब कुछ पा भी रोते देखे।
असंतुष्ट रहे जो जग में,
पास में जो सब खोते देखे।


संतुष्टि का मिला ख़ज़ाना,
पास नहीं कुछ हँसते देखे।
सिक्के के दो पहलू देखे,
कुछ खोकर सब पाते देखे।


डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
५३ महालक्ष्मी एनक्लेव मुज़फ़्फ़रनगर २५१००१
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ