खबर कुछ मिलता नहीं

खबर कुछ मिलता नहीं ,

आप वहां कैसे हो ।
सुखी हो , दुखी हो ,या
आप यहां जैसे हो ।।
दौलत यहीं छुट गया,
साथ नहीं कुछ भी गया ।
फिर भी हमने श्राद्ध समय ,
पात सब लगाया था ।
आप की शौकीन चीजें ,
सब कुछ सजवाया था ।।
सुंदर सा पलंग था ,
सुंदर बिछावन था ।
छाता था ,जुता था ,
सब बर्तन मनभावन था ।।
अन्न वस्त्र रूपया पैसा ,
सब कुछ हमनें दान किया ।
पुरोहित के माध्यम से ,
सब कुछ आपको भेज दिया ।।
जाते समय गंगाजल से ,
आपको नहलाया था ।
कफन में लपेट आपको ,
चिता पर सुलाया था ।।
चंदन की लकड़ी से ,
पूरी आपकी लाश जली ।
मुंहमांगा पैसा डोम राजा को ,
अग्नि दान के लिए मिली ।।
श्राद्ध में हमनें गरीबों और ,
बहुत से ब्राह्मणों को खिलाया था ।
मुंहमांगा दान सबने ,
हमसे तब पाया था ।।
बहुत सारा दान दिया ,
धुमधाम से श्राद्ध किया ,
पुरोहित कहते थे कि ,
यह सब वहां आपको मिल जाएगा ।
स्वर्ग में भी जीवन आपका ,
खुशी से भर जाएगा ।।
अब खबर मिलता नहीं ,
आप वहां कैसे हो ।
सुखी हो , दुखी हो ,या
आप यहां जैसे हो ।। 
 जय प्रकाश कुंअर
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