आया है जो जाएगा, राजा- रंक- फ़क़ीर,
जिसकी जितनी लेखनी, उतना पाये शरीर।कठिन परीक्षा सामने, समय बहुत बलवान,
ईश्वर की जैसी रजा, रखना होगा धीर।
जिसने उसको था रचा, उसने लिया बुलाये,
मानव का है गुण यही, सहता है सब पीर।
आत्मा तो है अजर- अमर, कहते हैं गुणवान,
समय पूरा जब हुआ, बदल लिया तब चीर।
अ कीर्तिवर्धन
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