लोकतंत्र और भारत
अक्सर कुछ लोग कहां करते हैं। सन् १९७४ में लोक की हत्या का प्रयास किया गया था। और २५जून १९७५को आपातकाल लगाकर लोकतंत्र की हत्या तत्कालीन प्रधानमंत्री द्वारा किया गया था।
आज की वर्तमान सरकार के बारे में विपक्ष द्वारा यह प्रचार किया जाता है कि इस सरकार के शासनकाल में भारत का लोकतंत्र खतरे में है।
कुछ जनवादी विचार के लेखक जिन्हें भारत सरकार द्वारा पुरस्कृत किया गया था, वो अपना अपना पुरस्कार वापस करने की घोषणा करते हैं। कुछ कलाकार कहते हैं कि भारत में रहने में भय है और भारत छोड़कर कहीं और जाने की बात करते हैं
सच है मेरे देश में आज भी लोकतंत्र नहीं है।
क्योंकि आजादी के बाद से आज तक कोई ऐसी सरकार नहीं बनी जिसे पचास प्रतिशत या उससे अधिक चुनाव में मत प्राप्त हुए हों। बताया जाए क्या इसे सफल लोकतंत्र माना जाए।
आज भी विधान सभा/लोकसभा का सत्र चलते समय राजनैतिक दलों द्वारा अपने सांसदों/विधायकों के लिए किसी विधेयक के पक्ष या विपक्ष में वोट देने के लिए व्हिप जारी किया जाता है। वो अपनी अंतरात्मा की आवाज पर वोट दे नहीं सकते। गुलामी का इससे बड़ा और बुरा उदाहरण कतयी और दूसरा हो नहीं सकता ।
सोचा जाए मेरा सांसद/विधायक ही स्वतंत्र नहीं है। तो आप कैसे अपने आपको स्
वतंत्रत कह सकते हैं।
लेकिन एक तोते की तरह हमें रटा दिया गया है कि आजाद देश के नागरिक हैं
जितेन्द्र नाथ मिश्र
कदम कुआं पटना
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