अबतक न देखा ऐसा पीएम ,
नहीं सेवा जीवन का भार हो ।कर्मचारी को भी ऊंचा समझे ,
सेवा ही जीवन का सार हो ।।
नहीं प्रधानमंत्री का है अहम ,
नहीं दे किसी जन को वहम ।
सत्य मार्ग पर ही चलने वाले ,
सत्यमार्गी पर करते हैं रहम ।।
सफाई कर्मचारी पद है धोया ,
उच्च आसन पर ही बैठाकर ।
श्रद्धा भक्ति से है पद धोया ,
अपने शीश को वे नवाकर ।।
सच्चे पक्के तुम देश प्रहरी ,
सच्चे अर्थ तू भारत लाल है ।
पीएम निजको सेवक समझे ,
माॅं भारती चमका भाल है ।।
देशद्रोही जिनसे मात खाए ,
नहीं गले जिनकी दाल है ।
अरि रहता जिनसे दूर सदा ,
अरियों की चले न चाल है ।।
अबतक न देखा ऐसा पीएम ,
सारे देश बने जिनके लट्टू ।
लेकर भारत जो है अग्रसर ,
पीछे छुट गए हैं सारे टट्टू ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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