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देव वैली ग्लोबल स्कूल का हुआ भव्य उद्घाटन

देव वैली ग्लोबल स्कूल का हुआ भव्य उद्घाटन

कुटुंबा प्रखंड के एरका कोलनी स्थित ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस के तत्वाधान में देव वैली ग्लोबल स्कूल, नर्सिंग एंड पैरामेडिकल संस्थान का भव्य उद्घाटन एक समारोह पूर्वक किया गया। दो सत्रों में आयोजित समारोह की अध्यक्षता सच्चिदानंद सिन्हा महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर चंद्रशेखर पांडेय ने की। सम्मान सत्र का संचालन साहित्यकार धनंजय जयपुरी तथा व्याख्यान सत्र का वरिष्ठ पत्रकार सह अधिवक्ता प्रेमेंद्र कुमार मिश्र ने किया। मुख्य अतिथि के रूप में जैन विश्व भारती संस्थान लाडनूं, राजस्थान के विशेष कर्तव्यस्त अधिकारी प्रो नलिन कुमार शास्त्री ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
कार्यक्रम का विधिवत् उद्घाटन मंचस्थ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन, सरस्वती माता के तैल चित्र पर पुष्पार्पण एवं फीता काटकर किया गया। उक्त संस्थान की छात्राओं ने बड़े ही मधुर स्वर में अतिथियों के सम्मान में स्वागत गान प्रस्तुत किया। संस्थापक शंभुनाथ पांडेय ने अतिथियों का सम्मान पुष्पगुच्छ,अंग वस्त्र, स्मृति चिन्ह इत्यादि से किया। स्वागत भाषण में उन्होंने कहा कि मनुष्य यदि निश्चय कर ले तो दुनिया का कोई भी कार्य उसके लिए असंभव नहीं है। इसी क्रम में उन्होंने बतलाया कि किस प्रकार वे शून्य से शिखर तक की यात्रा तय की है। मुख्य अतिथि ने कहा कि पांडेय जी के माध्यम से समय ने गुनगुनाकर काल के कपाल पर एक नया इतिहास लिखा है। उन्होंने यह भी कहा की शिक्षा गंगा की तरह है जिसके अवगाहन से व्यक्ति के मन-मानस की समस्त कुप्रवृत्तियां धुल जाती हैं और सुसंस्कार पैदा होते हैं। रामानुज पांडेय ने कहा कि धनोपार्जन से अपने जीवन की शुरुआत करने वाले पाण्डेय जी ने ज्ञान की ऐसी गंगा बहाई है जिसके माध्यम से नौनिहालों के जीवन में उज्ज्वलता सहज ही संभव है। प्रोफेसर सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा कि आज हम अत्याधुनिक बनने के चक्कर में अपने राहों से भटकते चले जा रहे हैं जो अत्यंत ही चिंताजनक है। डॉ सुरेंद्र प्रसाद मिश्र के अनुसार आज चारों ओर नैतिकता का स्खलन होता जा रहा है,शिक्षा ही एक साधन है जिसके माध्यम से इसका पुनर्स्थापन किया जा सकता है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अरविंद शर्मा ने अपने भाषण के दौरान कहा कि शिक्षा का उद्देश्य बच्चों को पढ़ा-लिखा कर बड़ा औफिसर या इंजीनियर, डॉक्टर बनना ही नहीं बल्कि उसे एक कुशल व्यक्तित्व संपन्न व्यक्ति बनाना होना चाहिए।
अवकाश प्राप्त शिक्षक नेता जयनंदन पांडेय के अनुसार संस्कारहीन शिक्षा का कोई मतलब नहीं, हमें चाहिए कि अपने बच्चों को पाश्चात्य सभ्यता, संस्कृति के बदले अपनी सनातन संस्कृति की महत्ता बतलावें और उसे अपनाने की प्रेरणा दें।
अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रोफेसर सी एस पांडेय ने कहा कि तकनीकी शिक्षा एक अनिवार्य निवेश है और राष्ट्र के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण इनपुट भी। इसे सामान्य शिक्षा से अलग प्रबंधित और प्रकाशित किया जाना चाहिए। कार्यक्रम के अंत में श्री पांडेय के कनिष्ठ सुपुत्र करुणानिधि कुमार ने आगत अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया।इस अवसर पर प्रो शिवपूजन सिंह, प्रो रामाधार सिंह, सिद्धेश्वर विद्यार्थी, नितेश कुमार दुबे, शिव नारायण सिंह, संत श्री केसरी नंदन दास, ललन भुइयां, राजेंद्र प्रसाद सिंह, पुरुषोत्तम पाठक, सिंहेश सिंह, राकेश कुमार उर्फ पप्पू जी, बैजनाथ सिंह इत्यादि ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किये। छोटे लाल पांडेय, कमलेश पांडेय इत्यादि लोगों ने तन-मन से आगत अतिथियों का स्वागत सत्कार किया।
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