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राम के काज में, जो विरोध खड़े कर रहे हैं,

राम के काज में, जो विरोध खड़े कर रहे हैं,

दुष्ट कालनेमि! हनुमान के हाथों मारे जायेंगे।
रावण से अहंकार में, जो अधर्म मार्ग पर चल रहे,
अहंकारी रावण समान ही, राम हाथों मारे जायेंगे।
जमा दिया फिर पाँव अंगद ने, रावण के दरबार में,
रामभक्तों के चरण, अहंकारियों द्वारा पखारे जायेंगे।
छल कपट मारीच ने, जो रावण के कहने से किया,
जानते जो राम महिमा, राक्षस भी पार उतारे जायेंगे।
पाप नगरी लंका त्याग, विभीषण शरण राम की आये,
धर्म के हित विभीषण खडे, वह राजा बनाये जायेंगे।


डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
५३ महालक्ष्मी एनक्लेव
मुज़फ़्फ़रनगर २५१००१
उत्तर प्रदेश

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