जो बुजुर्ग सुबह घूमने जाते हैं-
क्या करोगे तड़की तड़क बाहर लिकड के,ठंड लग जागी पड़े रहोगे कहीं अकड़ के।
घर वाले कहवेंगें बुढ्ढे को चैन पड़े ना,
घर आवोगे लाल नाक ले सुडक सुडक के।
आते ही माँगोगे चाय गरम गरम सी,
बहु कहेगी कर लो थोड़ी घनी शरम सी।
पहले बच्चों ख़ातर कुछ तैयार कर दूँ,
फेर बनाऊँगी चाय गरमा गरम सी।
हम भी तड़के से काम में लगे हुये हैं,
झाड़ू पोछा बर्तन में लगे हुये हैं।
तुम तो जल्दी सोओ जल्दी उठ जाओ हो,
हम देर में सौवें तड़के से उठे हुये हैं।
अ कीर्ति वर्द्धन
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