नम्रता, प्रतिबद्धता का एक ही तो नाम है
डॉ रामकृष्ण मिश्र
नम्रता, प्रतिबद्धता का एक ही तो नाम है युगों से संकीर्तनों में श्रेष्ठ सीता-राम है।।
स्वर्ण वर्णों में उगे जड़ चेतनों के प्राण में
तृप्ति की संवाहिकाओं में प्रफुल्लित गान में।
दिग्भ्रमित कर दे जगत् को मात्र जो मुस्कान में
वही आकर विराजेंगे यह अयोध्या- धाम है।।
पुण्यसंचित सुधासिंचित सरितसरयू धार प्रमुदित
दया, करुणा की धरित्री भक्ति- पारावार मुखरित
जहाँ देवों की ललकती रही अभिलाषा अचंभित
वही स्नेह मयी सुगंधा जन्म भूमि अकाम है।।
गये मन्वंतर कई ,युग कई राजे धन्य थे
शिवी मान्धाता , यशस्वी धर्म धुरीन प्रसन्न थे
पालने में जहाँ परमेश्वर भरै किलकारियाँ
ऋद्धि- सिद्धि समस्त वैभव शरणगत निष्काम है।।
**********रामकृष्ण
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