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अयोध्या में आ रहे राम लला

अयोध्या में आ रहे राम लला

आज से लगभग 500वर्ष पहले बाबर नाम का एक आतताई आया और सम्पूर्ण भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में तोड़फोड़ किया और उन्हें अपने कब्जे में कर लिया। उन्हीं प्रसिद्ध मंदिरों में एक मंदिर था अयोध्या का राम लला जन्मभूमि पर बना मंदिर। जिसे तोड़कर मस्जिद का रुप दे दिया। जिसपर वर्षों मुकदमा चलता रहा।
विश्व हिन्दू परिषद् ने डालमिया के नेतृत्व में इसके लिए आंदोलन भी छेड़ा। युवक और युवतियां भी बढ़-चढ़ कर आंदोलन में भाग लिया ‌। जिनके लिए अलग-अलग संगठन भी बनाया गया। और नाम दिया गया बजरंग दल और दूर्गा वाहिनी।
भारतीय जनता पार्टी ने लाल कृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में रथ यात्रा भी निकाली।जो विभिन्न राज्यों से होते हुए अयोध्या पहूचने वाली थी। रथ यात्रा जब पटना के गांधी में पहूंची तो आपार जन समूह ने आडवाणी जी का स्वागत किया। पर दूरभाग्य से बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। और रात यात्रा समाप्त हो गई।
रथ यात्रा अवश्य समाप्त हो गई पर उद्देश्य समाप्त नहीं हुआ। भारतीय जनता पार्टी के शीर्षस्थ नेता जगह जगह राम मंदिर के समर्थन में ओजस्वी भाषण देते। ऋतम्भरा और उमा भारती, ऋतम्भरा जो साध्वी थी, आंदोलन में कूद पड़ी। साध्वी ऋतम्भरा जहां भी जाती उनका भाषण सुनने को जनसैलाब उमड़ पड़ता।सच कहा जाए तो उस समय ऋतम्भरा साध्वी नहीं आग का दहकता शोला थी। उस समय उन्हें भाषण देने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। पर दूकान दार चोरी छिपे ऋतम्भरा के भाषण का आडियो कैसेट बेचते ओर लोग महंगे दामों में कैसेट खरीद घरों में सुनते।
1990 का वह दौर भी आया जब तमाम हिंदूओ़ को 6दिसम्बर कोअयोध्या पहुंचने का निमंत्रण मिला। उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव ने फैजाबाद पहूचने वाली सभी सीमाओं की नाकेबंदी करते हुए कहा था कि अयोध्या में परिंदा भी पर नहीं मार सकता। पर देश के कोने कोने से सड़क मार्ग द्वारा छिपते छिपाते पैदल गांव की गलियों से गुजरते हुए अयोध्या और फैजाबाद को जोड़ने वाली पुल पर पहुंच गए।वैरियर को तोड़कर लाखों कार सेवकों का जनसैलाब विवादित ढांचा जिसे हम क्षीराम जन्म भूमि और मुस्लिम समाज बाबरी मस्जिद कहते थे,के इर्द-गिर्द पहुंच गया। दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता अटल बिहारी बाजपेयी का भाषण चल रहा था ‌।
बाजपेयी जी रामसेवकों से धैर्य बनाए रखने का अपील कर रहे थे।
अचानक कारसेवकों का एक जत्था विवादित ढांचे पर चढ़ गया। दौड़ कर रितम्भरा कार सेवकों के बीच पहुंच जाती हैं। और उन्हें उत्साहित करने लगती हैं। और लगभग 12 बजे के आसपास भगवान श्री राम के जन्म लेने के समय विवादित ढांचे का पहला गुम्बद को कार सेवकों ने तोड़ कर दिया दिया ‌। कुछ देर बाद दूसरा और लगभग 4बजे के आसपास तीसरा और अंतिम ढांचे को भी गिरा दिया।
इधर मुलायम सिंह यादव ने कारसेवकों पर गोली चलाने का फरमान जारी कर दिया। पुलिस द्वारा कारसेवकों पर गोलियों की बरसात कर दी। पर कारसेवकों ने हार नहीं मानी। और भागते हुए विजय का प्रतीक चिन्ह (ढाए गये ढांचे का ईंट) अपने साथ अपने घर ले गये।
सुप्रीम कोर्ट में एक और मुकदमा दायर हुआ। आखिरकार विश्व हिन्दू परिषद , निर्मोही अखाड़ा और अन्य हिन्दू संगठनों की जीत हुई ‌।
बिहार के कामेश्वर पासवान जी को मंदिर निर्माण के लिए शिलान्यास के वक्त पहला ईट रखने का सौभाग्य मिला।
मंदिर का निर्माण कार्य प्रगति पर है। भगवान श्री राम की मूर्ति का निर्माण कार्य सम्पन्न हो चुका है । तिथि, समय, पुरोहित और यजमान का भी चयन कर लिया गया है। दिनांक 22 जनवरी2024 को अपरान्ह 12.30 से 12.31के बीच श्रीराम लला को पूजनोपरांत गर्भ गृह में पदस्थापित कर दिया जाएगा। प्रधानमंत्री मंत्री, सहित भारत के गणमान्य लोगों सहित साधु संतों को निमंत्रण पत्र भेज दिया गया है।
पटना ही नहीं बिहार के प्रतिष्ठित हड्डी रोग शल्य चिकित्सक डॉ आर एन सिंह नियत समय पर सपत्नीक मुख्य यजमान के रूप में विशेष पूजा में शामिल होने के लिए अयोध्या पहुंच जाएंगे।

पटना सहित पूरे बिहार के लिए यह गौरव की बात है कि प्रथम ईट रखने और गर्भगृह में राय लला को विराजमान करने का श्रेय बिहार को है
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