कविता-अकविता
डॉ. मेधाव्रत शर्मा, डी•लिट•(पूर्व यू.प्रोफेसर)
कलाम है कवि का कमाल
क्या ही दिलकुशा शब्द-जाल
पढ़नेवालों ने थाम लिया जिगर
देखकर कविता का दिलरुबा फिगर
शब्द जाल में उलझी अभिव्यक्ति
दम घुट रहा, पड़ी है नि:शक्ति
अभिव्यक्ति यों छटपटाये
मुर्गे किब्लानुमा ज्यों तड़फड़ाए
कितना खुशगुवार है नजारा
कवि ने खूब है मैदान मारा
जाने दो अभिव्यक्ति की जान
शब्द-सामर्थ्य ही कवि की शान
चलो, लिफाफा तो है खूबसूरत चाहे नदारद हो मज्मून ओ खत
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क्या ही दिलकुशा शब्द-जाल
पढ़नेवालों ने थाम लिया जिगर
देखकर कविता का दिलरुबा फिगर
शब्द जाल में उलझी अभिव्यक्ति
दम घुट रहा, पड़ी है नि:शक्ति
अभिव्यक्ति यों छटपटाये
मुर्गे किब्लानुमा ज्यों तड़फड़ाए
कितना खुशगुवार है नजारा
कवि ने खूब है मैदान मारा
जाने दो अभिव्यक्ति की जान
शब्द-सामर्थ्य ही कवि की शान
चलो, लिफाफा तो है खूबसूरत चाहे नदारद हो मज्मून ओ खत
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