धन्य धन्य है धाम अयोध्या ,
धन्य वहां के वासी हैं ।नारायण जंह नर हो जन्मे ,
राम नाम सुखराशी हैं।
राम चले वनवास सभी तब ,
पीछे पीछे दौड़ चले ।
भरत राम से मिलने निकले ,
वे भी साथ घर बार छोड़ चले ।
ऐसा अद्भुत रामचंद्र से ,
अयोध्यावासियों का नाता है।
हैं रामलला उनके अपने ,
यह परम सत्य का नाता है ।
मंदिर में विराजमान होने से ,
पहले नगर भ्रमण उन्हें करना है।
अपने नगरवासियों भक्तों का ,
मन आह्लादित करना है ।
त्रेतायुग से आज तलक ,
श्री राम अयोध्या के राजा हैं।
पावन है धरती अवध धाम ,
जहां विष्णु स्वयं विराजे हैं ।
ऐसे में मौका मिलने पर ,
अयोध्या जो न जा पाएगा ।
राम विमुख हो ऐसा मानव ,
खुद मन ही मन पछताएगा। जय प्रकाश कुंअर
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