Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

प्रेम रस बरसे

प्रेम रस बरसे

गीत गजल कविताएं,
मैं लिखता हूँ ।
गीत मिलन के भी,
जो मैं गाता हूँ।।


गीत मिलन की के मैं,
गा के सुनता हूँ।
प्रेम रस बरसाता हूँ,
मैं अपने गीतों से।
जग जाती है मोहब्बत,
लोगों के दिलो में।
मंत्रमुक्त हो जाते है,
गीत मेरे सुनके।
दिलमें बसा लेते है,
लोग मुझे अक्सर।।
गीत गजल कविताएं, मैं लिखता हूँ ।


लोगों की दीवानी का,
माहौल कुछ ऐसा है।
लवयू लवयू चिल्लाकर,
माहौल बनाते है।
फिर धीरे से मेहबूबा को,
वो किस कर लेते है।
और लोग इसके लिए,
बदनाम हमें करते है।
क्योंकि प्यार मोहब्बत के,
गीत मैं जो गाता हूँ ।।
गीत गजल कविताएं, मैं लिखता हूँ ।


कितनों को मेहबूबा, मिल जाती।
कितनों की दुनिया, बस जाती।
कितनों के दिल, मचलने लगते।
सुनकर प्यार मोहब्बत के गीत।
क्योंकि गीत गजल मैं लिखता हूँ।।




अब तुम ही बतलाओं लोगों
मेरा क्या है दोष इसमें।
नई उम्र के युवा युवती
सुनते है जब ये गीत।
तो दिलके अंदर उनके
दीप मोहब्बत के जल उठते।
और प्यार मोहब्बत के
सागर में डूब जाते है।
गीत गजल कविताएं,
मैं लिखता हूँ ।
गीत मिलन के भी,
मैं जो गाता हूँ।।


जय जिनेन्द्र संजय जैन "बीना" मुंबई
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ