प्यारी दुनियां....
आँखो के मिलने से हीआँखो से प्यार हो गया।
अब चाहत को पाने की
मुझे कोशिश करना है।
और दिल को दिलसे
मिलना हमको जो है।
तभी तो प्यार का सागर
बनाया पायेंगे हम दोनों।।
बसा अब ली है हमने
देखो अपनी नई दुनियां।
वर्षता है जिसमें देखो
सदा प्यार ही प्यार ।
और धड़कते रहते है
हमारे एक साथ दिल।
इसलिए तो बन गई है
हमारी छोटी सी दुनियां।।
बनाकर मुझको दिवाना
कहाँ तुम अब जा रहे हो।
तुम्हारी चाहत का अब में
किसे ये हाल सुनाऊ।
लगी है दिलमें देखो आग
बुझाये किस तरह इसको।
मिलाकर आँखो से आँखे
बुझा लेते है हम इसको।।
जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबई
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