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श्री राम

श्री राम

भव्य मन्दिर बन गया है, अयोध्या में राम का,
सनातन के गौरव, मर्यादा पुरुषोत्तम राम का।
हनुमान गढ़ी से हनुमान, सुरक्षा में तत्पर खडे,
सरयू नदी के तट पर, दशरथ नन्दन राम का।


कर रहे स्वागत सभी, दीप चन्दन वन्दन से,
फूल फल अर्पित करें, प्रीत जिन्हें रघुनन्दन से।
जन जन उल्लसित है, राक्षस कुल व्यथित है,
अयोध्या आनन्दित है, विपक्ष के क्रन्दन से।


राम ने अयोध्या आकर, भरत को गले लगाया,
कौशल्या केकैयी सुमित्रा, सबको शीश नवाया।
केकैयी ख़ामोश व्यथित, ग्लानि से भरी हुई,
विनम्रता से राम बोले, राम तुमसे राम बन पाया।


हो रहा राजतिलक, अयोध्या में श्री राम का,
विश्व पटल पर बज रहा, डंका राम नाम का।
उपहार सौग़ातें लेकर, सब अयोध्या उमड़ रहे,
जन जन गुणगान कर रहा, श्री राम के काम का।


अयोध्या आने को आतुर, जो राम को नकारते थे,
राम का अस्तित्व नही, न्यायालय में पुकारते थे।
अयोध्या राम की नगरी, आज बताने को विवश,
कल तलक अयोध्या में, जो बाबरी को निहारते थे।

डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
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