देवों का आगमन

देवों का आगमन

एक एकल होते हैं ब्रह्मा ,
सृष्टि को करते नव नींव ।
दो में भोलेशंकर हैं आते ,
कहलाते सदा शक्ति शिव ।।
तीन में त्रिदेव जी हैं आते ,
ब्रह्मा विष्णु और ये महेश ।
चार में शीघ्र ही मिल जाते ,
कहलाते शिवनंदन गणेश ।।
पाॅंच में होते हैं देव देवियाॅं ,
भवानी संग विराजें गणेश ।
इनके संग सदा विराजते ,
ब्रह्मा विष्णु औ शंभू महेश ।।
छः में हमारे षष्ठ शास्त्र हैं ,
सप्त में होते हैं सप्त समुद्र ।
क‌रते जो सबके हैं पालन ,
और संहारक होते हैं रूद्र ।।
धरा करती बहुत सहन है ,
कुल आठ प्रकार के हैं भार ।
नवम नौ देवियाॅं भी हैं होतीं ,
दशम खुल जाते दसों द्वार ।।
एकादश होते शुभ अंक हैं ,
द्वादश कलाओं में होते सूर्य ।
त्रयोदशी में हैं तेरह कसमें ,
चतुर्दश चौदह भुवन हैं पूर्य ।।
पंचदश में पंद्रह भेद पान ।
षोडस में ही सोलह श्रृंगार ,
सप्तदश सतरह शुभ मान ।।
अष्टादश अठारह पुराण हैं ,
जागृत सनातन है अविराम ।
नवदश भेद होते कन्या के ,
विंश मर्यादा पुरुषोत्तम राम ।।
साधु संत भी हो रहे एकत्रित ,
पावन रघुकुल अयोध्या धाम ।
22 जनवरी 2024 सन में ,
आए हनुमत लखन सीताराम ।।
श्रीराम भक्त गण भी आएंगे
साधु संत सज्जन भी अपार ।
दृश्य अदृश्य ये रहेंगे उपस्थित ,
भीड़ दिखेगी बहुत बेशुमार ।।
दृश्य अदृश्य हर शक्ति को भी ,
सहृदय सादर मेरा है प्रणाम ।
अरुण दिव्यांश कर जोड़ खड़ा ,
लेखनी करत रहता अविराम ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण ) बिहार ।
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