हम ख़्याल को ही, दोस्त बनाना चाहिए,
हमारे कर्म का मर्म समझे, अपनाना चाहिए।रंग रूप- अमीर गरीब, शिक्षा का महत्व नही,
उम्र- जाति- धर्म छोड़, समर्पण होना चाहिए।
दोस्त समर्पित हो, तो अच्छा लगता है,
हमारी हाँ में हाँ करे, तो अच्छा लगता है।
दोस्त सच्चा चाहिए, समर्पित होना सीखिए,
दोस्त हित समर्पित होना, अच्छा लगता है।
डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
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