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इशारों इशारों में बोला करे मन

इशारों इशारों में बोला करे मन

डॉ. मेधाव्रत शर्मा, डी•लिट•
(पूर्व यू.प्रोफेसर)
इशारों इशारों में बोला करे मन,
उलझी हुई गाँठ खोला करे मन।
अनमोल कोई रतन खोजता-सा,
यादों की गलियों में डोला करे मन।
यमुना की लहरों में गुम हो गई जो,
वंशी की धुन को टटोला करे मन।
दुनिया की नजरों से खुद को छुपा कर,
आँखों के मनकों को तोला करे मन।
सोई हुई है जो राखों की ढेरी में , 
चिनगी को शिद्दत से शोला करे मन।
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