फूल
कुछ लोगों को फूल में भी मूर्ख नजर आता है,जो उनकी नकारात्मक सोच को दर्शाता है।
किसी को मूर्ख में भी सरलता का आभास होता,
काँटों को भी फूल की सुरक्षा में तैनात बताता है।
पुष्प को समर्पित होते देखा, शव पर देव पर भी,
फूल का समर्पण भाव, सकारात्मकता बताता है।
लोग खुद की उपलब्धियों पर, फूल कर कुप्पा होते,
अहंकार में फूला हुआ ही, अत्याचारी बन जाता है।
है अभिलाषा फूल की, समर्पित हो सकूँ राष्ट्र पर,
सैनिकों के पथ में बिछूँ, स्वागत में तोरण द्वार पर।
देव चरणों में रहूँ या देवताओं के शीश विराजूं,
प्रेयसी की वेणी रहूँ, पर चाहत शहीदों कै मार्ग पर।
अ कीर्ति वर्द्धन
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