तुम्हारी याद बहुत आई
आज सुबह से स्मृतियों काबादल सघन रहा
तुम्हारी याद बहुत आई
तुम्हारी याद बहुत आई
टेबल पर ही धरी रह गई
चाय हुई ठण्डी
घण्टों बजती रही मधुरतम
वादों की घण्टी
तुम्हें भुलाने के कितने मैं
करता जतन रहा
तुम्हारी याद बहुत आई
तुम्हारी याद बहुत आई
कामकाज सब भूल गया
खुशबू मंहक गई
ऐसा लगा कि जैसे तेरी
सूरत चमक गई
मन की पावन इच्छाओं का
करता हनन रहा
तुम्हारी याद बहुत आई
तुम्हारी याद बहुत आई
पल-पल यादों केआंचल की
पुरवा डोल रही
धर आँगन कमरे-कमरे में
पायल बोल रही
भुला न पाया एक निमिष मन
करता मनन रहा
तुम्हारी याद बहुत आई
तुम्हारी याद बहुत आई
मन की बातें किससे कहते
समझ नहीं पाए
उमड़-घुमड़ कर फिर नयनों में
बादल घिर आए
बहुत संभाला संभल न पाया
बहता रतन रहा
तुम्हारी याद बहुत आई
तुम्हारी याद बहुत आई
*
~जयराम जय
'पर्णिका' बी-11/1,कृष्ण विहार,आवास विकास,कल्यणपुर,कानपुर-208017(उ.प्र.)
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com