Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

तुम्हारी याद बहुत आई

तुम्हारी याद बहुत आई

आज सुबह से स्मृतियों का
बादल सघन रहा
तुम्हारी याद बहुत आई
तुम्हारी याद बहुत आई


टेबल पर ही धरी रह गई
चाय हुई ठण्डी
घण्टों बजती रही मधुरतम
वादों की घण्टी
तुम्हें भुलाने के कितने मैं
करता जतन रहा
तुम्हारी याद बहुत आई
तुम्हारी याद बहुत आई


कामकाज सब भूल गया
खुशबू मंहक गई
ऐसा लगा कि जैसे तेरी
सूरत चमक गई
मन की पावन इच्छाओं का
करता हनन रहा
तुम्हारी याद बहुत आई
तुम्हारी याद बहुत आई


पल-पल यादों केआंचल की
पुरवा डोल रही
धर आँगन कमरे-कमरे में
पायल बोल रही
भुला न पाया एक निमिष मन
करता मनन रहा
तुम्हारी याद बहुत आई
तुम्हारी याद बहुत आई


मन की बातें किससे कहते
समझ नहीं पाए
उमड़-घुमड़ कर फिर नयनों में
बादल घिर आए
बहुत संभाला संभल न पाया
बहता रतन रहा
तुम्हारी याद बहुत आई
तुम्हारी याद बहुत आई
*
~जयराम जय
'पर्णिका' बी-11/1,कृष्ण विहार,आवास विकास,कल्यणपुर,कानपुर-208017(उ.प्र.)
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ