जिन्दगी कितनी हसीन होती है,
जब वो मेरे साथ साथ होती है।देखता जा ए वक्त, कुछ ठहर कर,
मेरी ख्वाबों से कैसे बात होती है।
जो नहीं सोचा था मानें, सब मिला,
सुन्दर परिवार, रहने को घर मिला।
योग्यता से ज़्यादा मेरी, मुझको दिया,
समाज में इज़्ज़त, मान मुझको मिला।
संस्कारी परिवार में पैदा हुआ,
शारदे की कृपा से आगे बढ़ा।
प्रकृति का सानिध्य अच्छा लगे,
बुजुर्गों की छाया में पला बढा।
धर्म में सदा रही आस्था मेरी,
कर्म की प्रधानता सदा मेरी।
सार गीता का समझने की चाह,
राष्ट्र प्रथम नीतियाँ रही मेरी।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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