नव वर्ष है,नव हर्ष है...
नव राग है, नवगीत है।नव चेतना, नव मंत्रणा,
नव सृष्टि का श्रृंगार है।
नव पुष्प पल्लव वीथिका,
नवगीत प्रीत विहान है।
नव वाटिका है, वसुंधरा।
नव ज्योति विश्व में है भरा।
यही दिव्य अनुपम रूप है,
अप्रतिम जगत स्वरूप है।
है हर दिशा में अभय यहां।
यही प्रेम का प्रतिरूप है।
यही कामना करें हम सभी।
मिले सबको जीवन में गति।
संभाव से हो भरे हुए ,
संकल्प हो अपने प्रति।
नववर्ष है, नव हर्ष है।
नव राग है, नव गीत है...
डॉ. अंकेश कुमार,पटना(बिहार)
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