छूरी बगल मे नही, हाथ मे रखता हूँ,
दोगला नही, हिंदु में विश्वास रखता हूँ।गर्व है मुझे, सनातन मे मेरी आस्था है,
राम मेरे आराध्य, समर्पित भाव रखता हूँ।
राम की अस्तित्व पर जो प्रश्न उठाते हैं,
राम नाम की ताक़त पहचान नहीं पाते हैं।
राम के विरोधी, आज कहाँ किस हाल हैं,
सत्य को देखकर भी, सच जान नहीं पाते हैं।
राम के विरोध में, कभी लंकेश था खड़ा,
जानकी को छल कपट से, लंका ले उड़ा।
हनुमान ने लंका जलाई, राम ने रावण वध,
वर्तमान दौर राम का, लंका फिर धरा पड़ा।
राम का अस्तित्व नही, जो लोग कह रहे थे,
राम सेतु काल्पनिक, न्यायालय में कह रहे थे।
अयोध्या आने को आतुर, दर दर वो भटक रहे,
आततायियों की हिमायत, जो युगों से कर रहे थे।
अ कीर्तिवर्धन
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