मकर सक्रांति का संदेश
राम जपो श्याम जपोजपो ब्रहमा विष्णु महेश को।
पर मत छीनो लोगों से
उनके अधिकारो को।
राष्ट्र चरित्र का तुम
कब करोंगे निर्माण?
बहुत हुआ खेल अब
धर्म जाती का देश में।
कुछ तो तुम शरम करो
देश के निर्माताओं।।
कितने सारे त्यौहार
एक तिथि पर पड़ते है।
अलग धर्म के होकर भी
एक जैसे ही लगते है।
चाहे हो मकरसक्रांति
या हो वो पोंगल आदि।
फिर क्यों धर्म के नाम पर
नफरत के बीज बोते हो।।
देखो कितना सुंदर है
अपना भारत देश ये।
फिर इस सुंदर देश को
क्यों मिटाने पर तुले हो।
नहीं किया जब भेदभाव
दुनियां को बनाने वाले ने।
फिर तुम कैसे मिटा पाओगें
उसकी बनाई इस दुनियाँ को।।
भारत की पावन भूमि पर
लिया जन्म देवीदेवताओं ने।
लिया नहीं क्यों जन्म उन्होंने
किसी और देश में।
गम्भीर होकर सोचो तुम
इस मूल बात को।
रघुपति राघव राजा राम
पति के पावन सीताराम।
ईश्वर अल्लाह तेरो नाम
सभी को बुध्दि दे भगवान।।
सोच विचारकर करो यारों
एकता वाले तुम काम।
तभी अमन चैन शांति
स्थापित हो पायेगीं देश में।
फिर हिल मिलकर हम
मनापायेंगे त्योंहारो को।
और अनेकता में एकता
दिखने लगी भारत देश में।।
सभी देशवासीयों को मकर सक्रांति पोंगल लोहरी आदि की बहुत बहुत बधाई और शुभ कामनाएं।
जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबई
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