स्वर्ग उतरा खुद धरा पर, अयोध्या में देख लो,
धूप दीप चन्दन वन्दन, अयोध्या में देख लो।नृत्य करती अप्सराएँ, गन्धर्व वादन कर रहे,
छप्पन व्यंजन भोग लगते, अयोध्या में देख लो।
स्वच्छ सुन्दर अट्टालिकाएँ, सिर उठाये खड़ी हुई,
मार्ग के दोनों तरफ़, स्वागत में जनता खड़ी हुई।
राम नव गृह विराजें, प्रफुल्लित नर नारायण सभी,
संगीत लहरी प्रकृति सुनाती, दुनिया सुनती खड़ी हुई।
रोशनी से आच्छादित, घर गली गाँव सब तरफ़,
सरयू की लहरें तरंगित, जयकार सुन सब तरफ़।
ऋषि मुनि साधु सन्त, राम महिमा जन जन गा रहा,
यज्ञ हवन मन्त्रोचार, अयोध्या में हो रहा सब तरफ़।
डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
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