मार्च 2024 के कुछ महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार

मार्च 2024 के कुछ महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार

अंग्रेजी के मार्च महीने में प्रायः हिंदी पंचांग के अनुसार फाल्गुन और चैत्र का महीना होता है। इस वर्ष सन् 2024 ईस्वी में 25 फरवरी 2024 से 25 मार्च 2024 तक फाल्गुन का महीना रहेगा और 26 मार्च से चैत्र का महीना आरंभ हो जाएगा। फाल्गुन माह में वसंत ऋतु होता है। इस महीने में ना अधिक ठंड होती है ना अधिक गर्मी होती है‌। जिसके कारण इसे वसंत ऋतु कहा जाता है। वातावरण में उल्लास पाया जाता है। चारों तरफ प्रसन्नता और प्रफुल्लता का वातावरण देखने को मिलता है।

फाल्गुन के महीने में रंग उत्सव मनाया जाता है। इसीलिए इसे रंगों का महीना भी कहते हैं। इस महीने की एक और विशेषता है कि भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह भी फाल्गुन मास में ही हुआ था जो महाशिवरात्रि के रूप में वर्ष में एक बार मनाया जाता है। पूरे विश्व में धूमधाम से महाशिवरात्रि का पूजन, उत्सव, त्यौहार मनाया जाता है। इस महीने में होलिका दहन भी एक श्रेष्ठ त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। इस प्रकार यह फाल्गुन का महीना महादेव माता पार्वती और भक्त प्रहलाद को समर्पित माना जाता है। फाल्गुन माह और फाल्गुन माह के अधिपति देवी देवताओं को नमन करके, प्रणाम करके आईए जानते हैं फाल्गुन मास के कुछ विशेष व्रत और त्योहारों के बारे में।
दिव्य रश्मि पत्रिका परिवार की तरफ से सभी पाठकों को महाशिवरात्रि और रंग उत्सव के पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाइयां।
फाल्गुन कृष्ण पक्ष पूरे 15 दिनों का है। इस पक्ष में के तीन रविवार एवं रविवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या के कारण राजनैतिक संघर्ष का विकृत स्वरूप देखने को मिलेगा। साथ ही साथ इन 15 दिनों में अर्थात् 25 फरवरी से 10 मार्च के बीच में किसी प्रकार की संक्रमण वाली बीमारी भी फैल सकती है। विश्व स्तर पर युद्ध जैसी परिस्थितियों भी पैदा हो सकती हैं। फाल्गुन शुक्ल पक्ष में पंचमी तिथि का क्षय हो गया है एवं त्रयोदशी तिथि की वृद्धि हो गई है। इस प्रकार यह पक्ष पूरे 15 दिनों का ही है।
3 मार्च रविवार को जगत जननी माता जानकी जी का जन्म उत्सव मनाया जाएगा। मां भगवती माता सीता, माता जानकी का जन्म दोपहर के समय हुआ था।
विशेष रूप से मिथिलांचल में यह उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है।

आज भानु सप्तमी का पर्व भी होगा।

4 मार्च सोमवार को महाराष्ट्र प्रांत में प्रसिद्ध संत समर्थ गुरु रामदास जी का जन्मोत्सव मनाया जाएगा।

5 मार्च मंगलवार को महर्षि दयानंद सरस्वती का जन्मोत्सव मनाया जाएगा।

6 मार्च बुधवार को विजया एकादशी का व्रत गृहस्थ और वैष्णव दोनों के लिए सर्वमान्य होगा।

8 मार्च शुक्रवार को महाशिवरात्रि का व्रत होगा।

आज प्रदोष व्रत भी है।

कृति वासेश्वर काशी विश्वनाथ जी के दर्शन पूजन और जलाभिषेक का कार्यक्रम विशेष रूप से आज के दिन होता है। काशी में चतुर्दश लिंग पूजन का उत्सव भी होता है। आज ही श्री वैद्यनाथ भगवान का जन्मोत्सव मनाया जाता है। भगवान शिव को लंका ले जाते समय दशानन रावण ने आज के ही दिन देवघर में भगवान श्री बैद्यनाथ की स्थापना किया था। आज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह उत्सव समस्त विश्व में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। संसार भर के सभी शिव मंदिरों में साज सज्जा के साथ तरह-तरह की झांकियों के साथ भगवान शिव के विवाह उत्सव का पर्व मनाया जाता है। प्रायः सभी शिव मंदिरों में भगवान शिव की बारात निकाली जाती है। शोभायात्रा निकाली जाती है। इसका विशेष सुंदर स्वरूप काशी के विश्वनाथ भगवान के मंदिर में देखने को मिलता है।


10 मार्च रविवार को स्नान दान श्रद्धा की अमावस्या होगी।


11 मार्च सोमवार को चंद्र दर्शन किया जाएगा।


12 मार्च मंगलवार को पश्चिम बंगाल के प्रसिद्ध महान संत और तपस्वी स्वामी श्री रामकृष्ण परमहंस जी का जन्मोत्सव मनाया जाएगा।

आज फुलरिया दूज भी मनाया जाएगा।

इस्लाम धर्म को मानने वाले मुसलमानों का रमजान का महीना आज से आरंभ होगा। यवन समाज आज से ही रोजा रखना आरंभ करेंगे। इस समय इस्लामी पंचांग के अनुसार हिजरी सन् 1445 चल रहा है।

13 मार्च बुधवार को वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी का व्रत होगा।

14 मार्च गुरुवार को सूर्य संक्रांति है। आज भगवान सूर्य कुंभ राशि को छोड़कर मीन राशि में प्रवेश करेंगे। इसके साथ ही आज से खरमास आरंभ हो जाएगा जो 13 अप्रैल 2024 तक चलेगा।

17 मार्च रविवार से होलाष्टक आरंभ हो जाएगा। होलाष्टक में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। आज से आरंभ हो रहा होलाष्टक, होलिका दहन के दिन तक चलेगा। होलिका दहन हो जाने के बाद होलाष्टक समाप्त हो जाता है।

होलाष्टक में केवल बिपाशा एवं रावती नदी, विपाशा, रावी तथा त्रिपुष्कर में ही विवाह आदि शुभ कार्य वर्जित होते हैं। होलाष्टक से प्रभावित क्षेत्र हैं लुधियाना, धवलपुर, फिरोजपुर, गुरदासपुर, होशियारपुर, कांगड़ा, कपूरथला एवं इसके समीप के स्थान।

इसके अलावा पूरे भारत में सर्वत्र विवाह आदि शुभ कार्यों में कोई दोष नहीं होता। मात्र खरमास की ही इन स्थानों पर गणना की जाती है।

जैसा कि हम सब जानते हैं कि भगवान सूर्य के मीन राशि में प्रवेश करते ही खरमास आरंभ हो जाता है। जो इस वर्ष 14 मार्च गुरुवार से आरंभ हो जाएगा। यह खरमास 13 अप्रैल शुक्रवार को भगवान सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करने के बाद समाप्त होगा। खरमास में किसी भी प्रकार का कोई भी शुभ कार्य अथवा जिस कार्य से लंबे समय तक लाभ लेना हो आरंभ नहीं करना चाहिए।
19 मार्च मंगलवार को नंद गांव में फागु दशमी के अवसर पर लठमार होली खेली जाती है 20 मार्च बुधवार को अमल की एकादशी का व्रत ग्रस्त और वैष्णव दोनों के लिए सर्वमान्य होगा आज की इस एकादशी को रंगभरी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है आज के दिन काशी विश्वनाथ जी का अबीर गुलाल से अभिषेक करके श्रृंगार किया जाता है और विशेष शोभायात्रा निकाली जाती है काशी वासियों की मान्यता है कि आज के ही दिन भोले बाबा माता पार्वती का गौना कराकर काशी लाए हैं इसी विश्वास एवं परंपरा को मानते हुए चांदी की पालकी में माता पार्वती के श्री विग्रह को विराजित करके और पूजा करके काशीवासी अबीर गुलाल उड़ाते हुए भक्ति भाव से शराब और होकर शोभायात्रा निकालते हैं।
21 मार्च गुरुवार को श्री खाटू राम देव जी का मेला आरंभ होगा 22 मार्च शुक्रवार को प्रदोष व्रत होगा 23 मार्च शनिवार को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है आज के दिन ही वीर स्वतंत्रता सेनानी सरदार भगत सिंह सुखदेव और राजगुरु को तत्कालीन अंग्रेजी सरकार ने फांसी पर लटका दिया था भारत माता के इन तीनों वीर सपूतों के सम्मान में आज के दिन शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है हम भारतवर्ष की जनता इन तीनों हुतात्माओं के त्याग और बलिदान के लिए बड़े ही श्रद्धा और सम्मान के साथ उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।
24 मार्च रविवार को व्रत की पूर्णिमा होगी।
आज होलिका दहन का उत्सव मनाया जाएगा। होलिका दहन के लिए शास्त्रीय मान्यता यह है की पूर्णिमा तिथि में रात्रि के समय भद्रा रहित कालखंड में होलिका दहन किया जाता है।
इस वर्ष 24 मार्च 2024 रविवार को दिन में 9:33 के बाद पूर्णिमा तिथि लग जाएगी और रात 10:28 पर भद्रा की समाप्ति के बाद होलिका दहन का उत्सव मनाया जाएगा। होलिका दहन में ढुण्ढा राक्षसी का पूजन कर के "ओम होलिकायै नमः" मंत्र का उच्चारण करते हुए विधि विधान से होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन के पश्चात एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाकर होली के त्यौहार आरंभ करते हैं। इसे छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है।

25 मार्च सोमवार को स्नान दान की पूर्णिमा होगी। आज श्री विष्णु दोलोत्सव भी होगा। काशी में होली का उत्सव, रंग उत्सव विशेष धूमधाम से मनाया जाता है।

आज की इस पूर्णिमा को वसंत पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। चैतन्य महाप्रभु का जन्मोत्सव भी आज के दिन मनाया जाता है।

पूरे विश्व में धूमधाम से आज के दिन होली का त्यौहार मनाया जाएगा। आज के दिन रतिकामोत्सव भी मनाया जाता है।



28 मार्च गुरुवार को संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी का व्रत होगा। प्राचीन मत के अनुसार आज छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म उत्सव भी मनाया जाएगा।



29 मार्च शुक्रवार को गुड फ्राइडे होगा ।

आज के ही दिन ईसाई समुदाय के प्रवर्तक ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था।



30 मार्च शनिवार को रंग पंचमी मनाया जाएगा। होली के दिन से आरंभ होकर आज के दिन 5 दिनों तक चलने वाला रंग उत्सव आज पूर्ण हो जाएगा। आज के ही दिन वृद्ध अंगारक अर्थात् बुढ़वा मंगल का पर्व काशी में धूमधाम से मनाया जाएगा।



31 मार्च रविवार को ईस्टर है।

ऐसी मान्यता है कि ईसाई समुदाय के संस्थापक ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाए जाने के बाद आज के ही दिन वह पुनः जीवित होकर और स्वस्थ होकर जन समुदाय के बीच उपस्थित हो गए थे।



विशेष टिप्पणी:

4 मार्च सोमवार को दिन के 2:54 पर भगवान सूर्य पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में प्रवेश कर जाएंगे। जिसके कारण सोना, चांदी, गेहूं, चना, उड़द, रेशम, गुग्गुल एवं पीपला मूल में मूल्य वृद्धि का झटका आएगा।



रविवार की अमावस्या एवं चतुर्ग्रही योग के कारण और ग्रहों के जमावड़े से घटनाकारी बनकर कोई बड़ी दैवी प्राकृतिक आपदा ला सकता है।

4 मार्च 2024 से 17 मार्च 2024 के बीच देश-विदेश में भूकंप के योग भी बना रहे हैं। कुल मिलाकर यह समय पूरे विश्व समुदाय के लिए भारी पड़ेगा। जन धन की हानि संभव है।

17 मार्च रविवार को भगवान सूर्य रात 10:45 पर उतराभाद्रपद नक्षत्र में प्रवेश कर जाएंगे।

14 मार्च गुरुवार को दोपहर 2:37 पर भगवान सूर्य कुंभ राशि को छोड़कर मीन राशि में प्रवेश कर जाएंगे और इसके साथ ही खरमास भी प्रारंभ हो जाएगा। फल, सब्जी, हरी चीजों का मूल्य बढ़ जाएगा। किंतु खाद्यान्न, अनाजों के भाव थोड़े नरम चलेंगे।

बुखार एवं चेचक आदि मौसम के रोग बढ़ सकते हैं।

11 मार्च से 25 मार्च के बीच शुक्ल पक्ष के तीन सोमवार के कारण घी, तेल एवं खाद्य पदार्थों के मूल्य में कमी देखने को मिलेगी।

कुल मिलाकर यह पक्ष सामान्यतः शुभ फलकारक हैं। 11 मार्च के आसपास बादल छा जाएंगे। पानी बरसने एवं ओला, पत्थर पड़ने की संभावना है।

इति शुभमस्तु!!

कल्याण मस्तु!!

लेखक: रवि शेखर सिन्हा उर्फ आचार्य मनमोहन(ज्योतिष मार्तंड एवं जन्म कुंडली विशेषज्ञ)।
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