मनमरजिया ( भोजपुरी कविता )
झमकत तूं फिरेलू ,मेला बाजार में ।
बिधना का लिखले बाड़े ,
तोहरा लिलार में ।।
माई बाबू के तूं ,
कहल ना मनलू ।
अपने मरजी से तूं ,
आपन बिआह ठनलू ।।
दूलहा तोह ले गइले ,
अगले दिन छोड़ गइले ।
तूं हीं त जान तारू ,
कमी आपन व्यवहार में ।।
बिधना का लिखले बाड़े ,
तोहरा लिलार में ।।
केहू से ना बोलत बाड़ू ,
मरजी से चलत बाड़ू ।
डूबल जाता जिनगी तोहार ,
पड़ के मझधार में ।।
बिधना का लिखले बाड़े ,
तोहरा लिलार में ।। जय प्रकाश कुंअर
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