मनमरजिया

मनमरजिया ( भोजपुरी कविता )

झमकत तूं फिरेलू ,
मेला बाजार में ।
बिधना का लिखले बाड़े ,
तोहरा लिलार में ।।
माई बाबू के तूं ,
कहल ना मनलू ।
अपने मरजी से तूं ,
आपन बिआह ठनलू ।।
दूलहा तोह ले ग‌इले ,
अगले दिन छोड़ ग‌इले ।
तूं हीं त जान तारू ,
कमी आपन व्यवहार में ।।
बिधना का लिखले बाड़े ,
तोहरा लिलार में ।।
केहू से ना बोलत बाड़ू ,
मरजी से चलत बाड़ू ।
डूबल जाता जिनगी तोहार ,
पड़ के मझधार में ।।
बिधना का लिखले बाड़े ,
तोहरा लिलार में ।। जय प्रकाश कुंअर
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ