शादी और यादें
कितनी यादें कितनी बातें लेकर आते हैं,जब परिवार की शादी से हम वापस आते हैं।
कुछ बातें याद कर मुख पर अनायास हँसी है आती,
तो विदाई की घड़ी आँखों को स्वतः नम कर जाती।
खट्टे- मीठे पलों को साथ ले आते हैं,
जब परिवार की शादी से हम वापस आते हैं...
व्यस्तता के इस दौर में जब दूरियां बढ़ती जाती हैं,
चाचा-चाची,मामा-मामी,मौसा-मौसी से मिले सदियाँ हो जाती हैं,
ऐसे में कुछ पल बिताकर अपनों के साथ,
हँसी की फूलझड़ियाँ ले आते हैं,
जब परिवार की शादी से हम वापस आते हैं...
भूल जाते हैं कुछ पल के लिए तनाव को,
मन में चलते अंतरद्वन्द और अलगाव को।
बेमतलब की बातों पर भी जब हैं गूंजते ठहाके,
रजनीगंधा के जैसे मन स्निग्ध कर जाते हैं,
जब परिवार की शादी से हम वापस आते हैं...
देखते हैं जब फोटो पुनः उसी पल को जी लेते हैं,
अगले दिन फिर वही दिनचर्या शुरू होनी है
जानकर भी कुछ पल सुकूँ के जी लेते हैं।
सच पारिवारिक समारोह सिर्फ समारोह नहीं,
रिश्तों के पक्के धागे होते हैं,
स्नेह सूत्र से बँधे जिनमें अनकहे कुछ वादे होते हैं,
आँखों में कैद पलों को हम साथ ले आते हैं,
जब परिवार की शादी से हम वापस आते हैं...
डॉ. रीमा सिन्हालखनऊ
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