राम के नाम पर जो सवाल उठायेगा,
धर्म का कृतघ्न, बेमौत मारा जायेगा।राम है आस्था, राम है आचरण यहाँ,
मर्यादा अनुसरण, राम जाना जायेगा।
राम के काल में भी, रावण जगत में रहे,
विद्वान होकर भी जो, अधर्म पर चलते रहे।
धर्म और अधर्म की, चर्चा सदा होती रही,
राम आज भी जीवित, रावण सदा मरते रहे।
देव का महत्व भी, दानवों के साथ है,
रोशनी का विस्तार, अंधकार हाथ है।
कौन अच्छा या बुरा, तुलना विषय यह,
कंस मिथ्या हो गया, कृष्ण विश्वास है।
जन्म का प्रारंभ राम, अन्त भी तो राम है,
मर्यादा का नाम राम, आचरण भी राम है।
राम राज्य कल्पना, जग सदा करता रहा,
राम सबकी प्रेरणा, आराध्य भी राम है।
दुखों में भी नाम राम, सुख का प्रारम्भ राम है,
त्याग की पराकाष्ठा, वचनों का पालन राम है।
पिता की आज्ञा राम, गुरुओं का आदर राम है,
अधर्म का विनाश राम, धर्म का नाम राम है।
डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
मुज़फ़्फ़रनगर
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