कीर्तिमान:डॉ विनय कुमार सिंघल के ३४ काव्य-संकलनों का हुआ विमोचन - प्रतिष्ठित साहित्यकारों की रही उपस्थिति
गुरुग्राम जब व्यक्ति की प्रतिभा सिर चढ़कर बोलने लगती है तो उससे बड़े से बड़े कार्य करवाने में सक्षम हो जाती है । यही स्थिति है देश के प्रतिष्ठित और सुप्रसिद्ध इतिहासकार डॉ विनय कुमार सिंघल की। जिनकी प्रतिभा उन्हें निरंतर जागरूक बने रहकर कार्यशील बनाए रखने में सहायता करती है। उसी के चलते उन्होंने दर्जनों पुस्तकों का लेखन कार्य कर साहित्य की अद्भुत सेवा की है। मां भारती के इस सच्चे सपूत की साहित्य साधना बहुत से युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुकी है। वह जागते हैं तो साहित्य के लिए और सोते हैं तो साहित्य के लिए। उनका पल-पल साहित्य के लिए समर्पित है। कविता के लिए समर्पित है। उनका एकांत कविता के लिए मचलता है और उनका मानस कविता के लिए काम करता रहता है।
प्रतिष्ठित साहित्यकार डॉ.विनय कुमार सिंघल "निश्छल", अधिवक्ता/कवि द्वारा कीर्तिमान स्थापित करते हुए २३ एकल, ०९ त्रयी काव्य-संकलन व एक-एक काव्य-संकलन डॉ.वीणा शंकर शर्मा "चित्रलेखा" व अंजू कालरा दासन "नलिनी", का एक साथ विमोचन किया गया।इस अवसर पर संस्थाओं की ओर से उनका अभिनदंन भी किया गया।
गुरुग्राम के पालम विहार स्थित उनके निज निवास पर आयोजित एक भव्य आयोजन में एक साथ 34 पुस्तकों का विमोचन किया गया।जो एक कीर्तिमान स्थापित कर गया। विमोचन कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ.रीता नामदेव, एसोसियेट प्रौफैसर हिन्दी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय ने की। विशिष्ट अतिथि के तौर पर डॉ.चन्द्रमणि ब्रह्मदत्त व प्रसिद्ध साहित्यकार सुजीत शौकीन रहे। उपस्थित विद्वत जनों ने डॉ विनय कुमार सिंघल की रचनाधर्मिता पर विस्तार से चर्चा की और उनके निरंतर गतिमान सृजन को अद्भुत जीवटता भरा बताया।विदित हो कि इससे पूर्व भी डॉ सिंघल के एक बार १७ व ०९जुलाई,२०२३ को २१ काव्य-संकलनों का विमोचन हो चुका है।
सुप्रसिद्ध इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता डॉ राकेश कुमार आर्य ने अपने प्रेषित संदेश में कहा कि श्री सिंघल साहित्य जगत के चमत्कृत व्यक्तित्व है। जिनसे हम और आने वाली पीढ़ियां प्रेरणा लेती रहेंगी। उन्होंने कहा कि साहित्य साधना पवित्र हृदय से संवाद करती है और जब पवित्र हृदय से कविता निकलती है तो वह सात्विकता के भाव बखेरती हुई कितने ही लोगों का कल्याण करती चली जाती है। मानो कवि बादल है और कविता उसकी वह मनोरम फुहार है जो सूरज की तपन से झुलसती हुई खेती को हरा-भरा करने में सहायता करती है। डॉ आर्य ने कहा कि श्री सिंघल की कविता संसार की तपन से जलते हुए मानस को उसी प्रकार शांति प्रदान करने में सहायता करती है जैसे तपते हुए रेगिस्तान में बादल से गिरने वाली बूंदें। हमें इस बात पर अत्यंत प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है कि आज न केवल श्री सिंघल जी की पुस्तकों का विमोचन हो रहा है बल्कि
डॉ.वीणा शंकर शर्मा "चित्रलेखा" व अंजू कालरा दासन "नलिनी" भी अपने काव्य
जगत की सात्विक संरचना के माध्यम से हमारे बीच उपस्थित होकर हमारी प्रसन्नता को द्विगुणित कर रही हैं। हम सब इन तीनों तपस्वियों के लिए दीर्घायु से की कामना करते हैं। आयोजन का आरंभ कामिनी सिंघल द्वारा भावपूर्ण सरस्वती वंदना के साथ हुआ। सरस्वती प्रतिमा के समक्ष रीता नामदेव व विशिष्ट अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्ज्वलन ,पुष्प अर्चन किया गया l इसी अवसर पर इंद्रप्रस्थ लिटरेचर फेस्टिवल की ओर से श्री विनय सिंघल को प्रमाण पत्र द्वारा सम्मानित किया गया। हांसी, हिसार की संस्था संकल्प द्वारा भी उन्हें "साहित्य श्री भगीरथ" उपाधियुक्त प्रपत्र प्रेषित किया गया।कार्यक्रम में काव्य धारा से वातावरण आनंदमय रहा। आशा सिंघल, कामिनी सिंघल आदि की उपस्थिति रहीं।अंतराष्ट्रीय विभूति राकेश छोकर ने कार्यक्रम में आभासी संवाद के द्वारा अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
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